शनिवार, 1 मई 2010

बाईबल की एक कहानी, नोआह का बड़ा जहाज़ का अनुवाद

रिता जुलि शिमोन--

यह कहानी पहले समय मैं हुई जब दुनिया युवन थी लेकिन मानव जाति बहुत अधर्मी चीज़ें करते हुए दोष मैं खो गये। ईश्वर लोगों के दिल मैं देखकर बिलकुल नाराज़ या उदास हो गये। उन्होंने सोचा कि उनको दुनिया किसी प्रकार से साफ़ करना चाहिए। उस समय एक अच्छा या ईमानदार आदमी था जो ईश्वर से प्रेम करता था और उनकी नौकरी करता था। नाम नोआह था। एक दिम ईश्वर ने उस से कहा : तुम अपने परिवार के लिए एक बड़ा जहाज़ का स्थापति करना। मैंने निश्चय किया कि मैं पृथ्वी का सभी लोगों को ज्वार से मार दूँगा।

नोआह ने ईश्वर का हुकम माना। जब नोआह अपने काम से तैयार हो गया तो ईश्वर ने उस से कहा कि वह हर तरह जानवर से एक-एक जोड़ा अपने साथ ले। बड़े और छोटे जानवर जमा करने के बाद सब किसी ने बोरड चढ़े हुए मेह पड़ने लगा। सब जीवन वाली चीज़ें मर गयी क्योंकि पानी चालीस दिनों तक पड़ रहा था और उस ने सब कुछ डुबाया। लोग और जानवर जहाज़ मैं महिने इंतज़ार कर रहे थे। वे दिन से दिन अधिक उत्सुक हो गये और खाना भी कम था। नोआह ने एक काग छोड़ दिया। उस ने सोचा कि शायद पृथ्वी मैं कोई सूखा भाग हो। काग लापस आया मतलब पानी अभी भी अधिक था। उस के बाद उस ने एक कबूतर जा दिया और वह भी लौटा। यह एक और बार हुआ लेकिन अब कबूतर एक जलपाई पत्र लाकर वापस आया। उस से जहाज़ के लोगों को पता चला कि पानी अलोप होने वाला हैं। कुछ सपताह के बाद उन्होंने जहाज़ का दरवाज़ा खोला और वे बाहर आये। फिर ईश्वर ने नोआह से कहा: तुम्हारा परिवार और सब जानवर पैदा करें। यह पृथ्वी तुम्हारी और तुम्हारी सन्तान की है। उस के बाद नोआह ने ईश्वार के लिए किसी जानवर की कुर्बनी दी। इस क्रिया देखकर ईश्वार ने कहा: मैं मानव जाती के अंधेर के कारण पृथ्वी इस के बाद कभी नहीं मार डालूँगा। मैं जानता हूँ कि पुरुष बचपन से बुरी बातें कर्ना कोलम है। इस दोष के कारण ज़िनदगी नहीं रुखेगी। ईश्वार ने उन्हें आशीर्वाद दिया और बोला: दुनिया अपने बच्चों से भरना और खुश रहना। और वे कृतज्ञ थे और उनकी नैकरी ज्यादा उत्साह से करते थे। यह एक बुनियादी और महत्त्व्पूर्ण कहानी थी जो ईसाई और यहूदी लोगों के जीवन मैं लोकप्रिय है।

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