मंगलवार, 11 मई 2010

हंगरी की चुनाव पद्धति

इश्तवांफ़ि दानियल

लोकतंत्रिक देशों मे कई वर्षों चुनाव होता है, जिसमें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और संसद के सदस्यों का चुनाव किया जाता है। हंगरी में हर चौथे साल में लोग संसद के सदस्यों का चुनाव करते हैं। मतदान गुप्त होता है, मतलब चुनाव करने वालों को अपना नाम वोट के कागज़ पर नहीं लिखना होता। चुनाव प्रत्यक्ष भी है।

हंगेरियन चुनाव पद्घति जर्मनी की पद्घति पर आधारित है, उसका नाम मिश्रित पद्घति है। चुनाव में दो चरण होते है, और एक चरण में मतदाता दो वोट देता है। एक वोट इलाके में पार्टी के सदस्य के लिए होता है, और दूसरा इलाके में पार्टी की सूची के लिए होता है। हंगेरियन संसद के 386 सदस्य हैं। उनमें से 176 का चुनाच इलाके के वोट से चुनाव किया जाता है, और 152 पार्टी की सूची से। शेष 58 एक बहुत जटिल कलन से चुने जाते है, जिनका नाम हैगेनबाख़-बिशोफ़ (Hagenbach-Bischoff) कलन है।

कोई भी चुनाव लड़ने वाला नहीं हो सकता है। नियम यह है, कि चुनाव लड़ने वाले की उम्र 18 से ज़्यादा होनी है, और उसे हंगेरियन नागरिक होना है। एक तीसरा प्रतिबंध भी है : चुनाव लड़नेवाले को 750 सिफ़ारिशी कागज़ जमा करने होते हैं। यह प्रतिबंध बहुत मुश्किल है।अगर पहले चरण में मतदातों के 50 % भाग लेते हैं, और एक प्रत्याशी को 50 % मत मिलते हैं, तो दूसरे चरण की ज़रूरत नहीं होती। दूसरा चरण, पहले चरण के दो हफ़्ते के बाद आयोजित किया जाता है। यह पहले चरण से अधिक सरल होता है, क्योंकि यदि मतदाताओँ के 25 % भी चुनाव करते हैं, तो चरण मान्य हो जाता है।

अगले महीने हंगरी में चुनाव होगा। हंगरी में दो बड़ी पार्टियाँ हैं, शासक पार्टी- मज्यार सोशलिस्ट पार्टी है (Magyar Szocialista Párt), विरोधी पार्टी- फिदेश (Fiatal Demokraták Szövetsége) है। मसोपा एक वामपंथी दल है, फिदेश दक्षिणपंथी। प्रजा वर्तमान सरकार से संतुष्ट नहीं है, सार्वजनिक वातावरण बहुत बुरा है। इस कारण सब लोग सोचते हैं, कि फिदेश जातेगी। यह भी संभव है, कि फिदेश पूर्ण बहुमत प्राप्त कर ले। मेरे खयाल से यह अच्छी बात नहीं है, क्योंकि पूर्ण बहुमत मिलने पर फिदेश अच्छे-बुरे सभी काम कर सकेगी, जैसे- संविधान का बदलाव। विरोध होना आवश्यक है।

मसोपा और फिदेश के अलावा छोटी पर्टियाँ भी है। उनमें से एक महत्त्वपर्ण है, जिसका नाम योब्बिक है (मतलब: ज़्यादा अच्छा / ज़्यादा दक्षिणी)। यह पार्टी नाजीवादी है, और आजकल बहुत लोकप्रिय होती जा रही है। आर्थिक संकट और सामाजिक समस्याओं से होने के कारण बहुत लोग इस पार्टी पर विश्वास करने लगे। संभव है, कि यह छोटी पार्टी संसद के 10 % कब्ज़ा कर लेगी। मुझे मालूम नहीं है, कि चुनाव में क्या होगा, नतीजा क्या होगा। अगले डेढ़ महीनों में सब कुछ साफ़ हो जाएगा।

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