बुधवार, 12 मई 2010

चिर-प्रेमी

पास्तोरी जूजा--
विभाग की छात्रा की मौलिक कहानी का हिंदी अनुवाद- रीता जुलि शिमोन, अन्ना शिमोन, रीता डोमिनिक)--

-धीरे-धीरे सब ख़त्म हो जाएगा! - उसने मुस्कराते हुए कहा।
-मैं हमेशा तुम्हारे बारे में सोचती रहती थी। तुम्हारा इंतज़ार कर रही थी ताकि हम एक-दूसरे से विदा ले लें, क्योंकि चिर मिलन का क्षण आने वाला है।
वह खिड़की से बाहर देखने लगी, उसे खुशी दिखाई दी, उसको लगा कि ज़िन्दगी में पहली बार शायद वह उससे मिल भी सकेगी।
-तुम मेरा इंतज़ार क्यों नहीं कर रहीं - उसने लड़की से पूछा - जल्दी क्यों कर रही हो? मैं नहीं चाहता कि तुम उसकी हो जाओ, मैं नहीं चाहता कि तुम उसका बनना चाहो!
-मैं सिर्फ उसके साथ ही खुश हो सकती हूँ, तुम यह जानते हो।
-तुम इतनी बेसब्री से क्यों उसका इंतज़ार कर रही हो? वह तुम्हें खुश नहीं करेगा। वह तुम्हें नहीं चाहता।
लड़की ने नाराज़ होकर से पीठ फेर ली। उसने खिड़की के रास्ते से ख़ुशी की फिर रिझाने की कोशिश की।
-तुम झूठ बोल रहे हो, तुम मेरी ख़ुशी से जलते हो। तुम नहीं चाहते कि मैं उससे प्यार करूँ।
वह नाराज़ हो गयी और रोने लगी। उसे लगा कि वह ज़रूर आएगा क्योंकि वह अभी तक उसका ही इंतज़ार कर रही थी। उसने अपने ऊपर नियंत्रण रखा, कुछ समय बाद उसने पतझड़ के गुलाब जैसे खिले हुए चेहरे से लड़के से विदा ली। लड़के ने रोते हुए भीख माँगी कि वह उसे चुन ले, पर लड़की अटल रही। शीतल ठंडी हवा उसके शरीर पर अपना असर दिखाने लगी, वह ज़मीन पर गिर गई, वह धराशायी हो गई। उसके सपनों के राजकुमार, उसके चिर प्रेमी का संदेश आया। जैसे ही वह उसके पास पहुँचा, लड़की की नसों में खून जम गया। उसका शरीर ठंडा पड़ गया, जैसे बिना चिंगारियों की आग। उसका खून बर्फ हो गया, उसका पूरा शरीर और दिल उसके फंदे में फँस गया। सपनों के राजकुमार, चिर प्रेमी ने आने का इशारा किया। लड़के ने उसके बेजान शरीर को अपने शरीर के साथ कसकर दबाया, वह लड़की की साँसों को अंतिम बार महसूस करना चाहता था। उसने अपने होंठ लड़की के होंठों पर रखने चाहे। लड़की ने डरे हुए चेहरे से एक बलि के बकरे की तरह शिकारी, वधिक की आँखों में झाँका। अब अचानक, उसकी हड्डियों में गर्मी मुश्किल से ही घुस पा रही थी। वह डरी, गर्मी अगर उसके शरीर में पहुँचती तो उसके शरीर का दर्द और भी बढ़ जाता। उसने अपनी सारी शक्ति सँजोने की कोशिश की और गले लगे लड़के को अपने से दूर धकेला। दुख गुस्से में बदल गया, क्योंकि उस आलिंगन में उसे कोई गर्मजोशी महसूस नहीं हुई। यह सिर्फ उसकी अंतिम निराशाजनक चीख थी। दुनिया अचानक चकराने लगी, उस लड़की ने अंतिम गहरी गर्म साँस ली । उसे साँस लेने में कठिनाई हो रही थी। वह जिसका उसे इंतजार था, उसका चिर प्रेमी, उसके सपनों का राजकुमार आ गया था।
कुछ क्षण बाद, वह दूसरे लोक की सीमा में पहुँच जाएगी, प्रवेश कर जाएगी। वहाँ उसका जन्म-जन्मांतर का प्रेमी, अपने काले घोड़े पर सवार हो उसका इंतजार कर रहा था। उसने अट्ठारह साल पहले ऐसा ही वादा किया था। घोड़े के मुँह से सब तरफ आग की लपटें निकल रही थीं।
-मैं तुम्हें लेने आया हूँ, मेरी सुंदर प्रेमिका।
लड़की गुस्से से चिल्ला रही थी-
-तुम पहले क्यों नहीं आए। मैं कबसे तुम्हारा इंतजार कर रही थी। मैंने एक पल के लिए भी तुम्हें धोखा नहीं दिया। मैं हमेशा तुम्हारे बारे में सोचती रहती थी, मेरा सोच भी तम्हारे इर्द गिर्द घूमता था। मैंने सोचने में भी तुम्हें धोखा नहीं दिया। मैंने सपने में भी तुम्हें धोखा देने के बारे में नहीं सोचा।
मेरी प्रिया, हम अब भी एक हो सकते हैं, उसने धीरे से अपना हाथ लड़की की ओर बढ़ाया। लड़की ने भी अपना हाथ आगे बढ़ाया। लेकिन वह उसे छू नहीं पाई क्योंकि वह बहुत दूर था। वह रोने लगी क्योंकि वह सरक, घिसट भी नहीं सकती थी।
- मैं तुम्हें अपने साथ नहीं ले जा सकता क्योंकि कोई तुम्हें मुझसे दूर खींच रहा है। में देख रहा हूँ कि तुमने मुझे धोखा दिया है। तुम सिर्फ मेरी ही नहीं होना चाहती। मैं तुम्हें किसी से बाँटना नहीं चाहता। इसलिए मेरी प्रिया, तुम वापस चली जाओ।
- तुम्हें यहाँ मत छोड़ो, विश्वास करो कि मैं तुम्हारे लिए ही जी रही थी, मैं तुम्हारे लिए ही बनी हूँ।
- अभी हमारे चिर मिलन का समय नहीं आया है, इसलिए वापस चली जाओ! -सपनों के राजकुमार, मृत्यु ने कहा- जो शक्ति तुम्हें मुझसे दूर खींच रही है, अगर लड़ सकती हो, तो उससे लड़ो। उसके बाद ही हमारा मिलन संभव होगा।
- लेकिन मैं उसकी तलाश कहाँ करूँ?
उसने कातर स्वर में कहा,
- मेरी मदद कर दीजिए।
- खुशी है... दुर्भाग्य... भय...।
उस लड़के ने इससे कोई अनुमान नहीं लगाया। जब लड़की सपनों के राजकुमार से भीख माँग रही थी, तब लड़का खुशी की खोज में लगा था। तब वह भगवान में विश्वास नहीं करता था। अचानक उसे याद आया कि हमेशा किस तरह लड़की भगवान की प्रार्थना करती थी। उसने हाथ जोड़कर भगवान की प्रिय की बच्ची के लिए प्रार्थना की। यह सुनकर सपनों का राजकुमार, मृत्यु अपने घोड़े पर सवार होकर आगे वापस मुड़ गई।
लड़की वह धूल ही देखती रह गई जो घोड़े की टापों से उड़ी थी। उसकी आँखों से नमकीन पानी भूमि पर टपकने लगा।
उससे आग की चिंगारियों की कब्र खुद गई, उसके आँसुओं में आग की चिंगारियाँ दफन हो गईं। लड़की ने अपनी आँखे खोलीं और एकटक निहारने लगी।
-उसने मुझे नहीं चाहा। उसने मुझे धोखा दिया, मुझसे झूठ बोला मैं उसके बिना कैसे खुश रहूँगी।
-डरो मत, वह एक दिन तुम्हारे पास वापस आएगा, मुझे पता है। उन्होंने एक दूसरे को आगोश में भर लिया और रोने लगे। मैं तुम्हारे कारण उसकी नहीं हो पाई, तुम हम दोनों के बीच में आ गए।
-तुम्हारे सपनों का राजकुमार सिर्फ यह चाहता है कि तुम्हें सगाई से शादी तक आँसुओं के सागर के तरह-तरह के स्वाद, नीले आकाश, सागर को तपानेवाला सूरज और सागर के स्वाद बढ़ाने वाले नमक को पहचानना होगा। मैं तुम्हारी मदद करूँगा, लेकिन धैर्य मत खोना। लड़की का शरीर दशकों बाद, तपता जा रहा था, सूरज ने अपनी मुस्कान से उसका रक्त पिघला दिया।

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