शनिवार, 1 मई 2010

समझदार कति

विराग कातालीन--

बहुत पुरानी बात है। हंगरी में अनेक सुंदर लड़कियाँ थीं। सुंदर होना कोई बड़ी बात नहीं थी पर कति सुंदर होने के साथ-साथ बहुत समझदार भी थी।

उसकी समझदारी की कहानियाँ सात समुंदर पार तक फैली हुई थीं।

उसकी समझदारी की बात मात्याश के कानों में भी पड़ी।

राजा ने दरबारियों से कहा-

इस लड़की को दरबार में लाओ। मैं इस लड़की की परीक्षा लेना चाहता हूँ।

घर वालों ने कति को शानदार पोषाक पहनाई और थैला लटकाकर दरबार की ओर भेज दिया।

राजा ने कति की परीक्षा लेने के लिए तीन सवाल सोचे। गुलाबी बालों वाली कति राजा के सामने खड़ी हुई।

राजा ने कहा-

कतियों की रानी ध्यान से सुनो! अगर तुम मेरे तीनों सवालों का जवाब दे दोगी तो मैं मान लूँगा कि तुम मेरे राज्य की सबसे समझदार लड़की हो। अटारी में जो सौ साल से भी पुराने सन का ढेर है क्या तुम उससे सोने का तार बँट सकती हो?

जी पिताजी, क्यों नहीं। कति ने तुरंत उत्तर दिया। ऐसा करने के लिए मेरे पिता जी आप सौ साल पुरानी बाड़ के पौधे से एक सोने की तकली बनवा दीजिए।

राजा ने सिर हिलाया, ठीक है, ठीक है।

प्यारी बेटी, मेरा दूसरा प्रश्न है कि क्या तुम अटारी में रखे हुए सौ घड़ों में पैबंद लगा सकती हो ?

जी पिताजी, पर पहले आप उन सौ घड़ों को अंदर से बाहर की ओर फिरवा तो दें। कोई पागल भी जानता है कि पैबंद हमेशा अंदर की ओर लगाया जाता है।

राजा पहले से भी ज्यादा सिर हिलाने लगा। मुझे लगता है कि मेरी प्यारी बेटी कि तुम बहुत समझदार लड़की हो।

तीसरी बार मेरी एक माँग है- मेरे लिए तुम कुछ उपहार लाओ। वह उपहार यहाँ हो और यहाँ न भी हो।

महाराज आप जरा इंतजार कीजिए, मैं जल्दी ही लाऊँगी। यह कहकर कति बाहर भागी और कुछ समय तक बाहर रही, फिर वापस आ गई। उसने दोनों हाथों के बीच दो छलनियाँ आपस में जोड़कर पकड़ रखी थीं। राजा के सामने पहुँचकर उसने छलनियों को संगमरमर के फर्श पर रख दिया।

आप की आज्ञा महाराज।

जैसे ही राजा ने देखना चाहा कि लड़की क्या लाई है, तो उसने ऊपर वाली छलनी उठा दी। उसमें से एक सफेद कबूतर उड़ गया।है भी और नहीं भी।

राजा मात्याश ने कहा-

प्यारी बेटी, अब मैं मान गया कि तुमसे ज्यादा समझदार लड़की इस सारी दुनिया में नहीं है। उन्होंने खजांची को बुलाकर आदेश दिया कि समझदार कति को सौ अशर्फियाँ दी जाएँ, ताकि उसकी शादी आसानी से हो जाए और वह किसी की सौभाग्यशाली पत्नी बन सके।

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