शुक्रवार, 30 अप्रैल 2010

नुकसान

--वेरोनिका

तुम गायब हो गये हो, मैं विश्वास नहीं कर पाती! कल तुम मेरे पास थे और आज ।।। मेरा जीवन सर्वथा बदल गया, क्यों? तुमने मुझे क्यों ऐसे छोड़ दिया, ऐसा क्रूर, तुम्हारी अपनी खबर दिए बिना, अब तुम गायब हो, और यह शोकपूर्ण मोड़ मेरी अपनी गलती के कारण आया। मेरी अपनी लापरवाही से।
मैं आज तक समझ नहीं पायी, कितनी बड़ी कीमत तुम थे। तुम हमेशा मेरे पास रहते थे, हर सुबह जब मेरी आँखें खुलतीं, सब से पहले तुम नज़र में आते थे। हर रोज़ हजारों बार मैं तुम्हारी ओर देखती थी, हर पल तुम मेरे साथ रहते थे, पर मैंने एक बार भी सोचा कि तुम कितने अहम् हो। जब मैंने तुम को पहली बार देखा था, तुरन्त तुम्हारी खूबसूरती और सक्षमता मेरा नज़रों को भा गई। लेकिन समय बीतते-बीतते हमारा संपर्क मामूली हुआ। तुमने लगातार मेरी सहायता की, मुझे अकेला कभी नहीं छोड़ा, परन्तु जब तुम दिन भर मेरी इच्छाएँ पूरी करते-करते थक जाते थे तो मैं नाराज़ हो जाती थी।
तुमने न सिर्फ मेरी मदद की, बल्कि मेरा रोजमर्रा का जीवन भी चलाया, तुमने मुझे खुश किया। आज तुमने मेरा दिल तोड़ दिया, मेरा जीवन तबाह कर दिया। जब से तुम खोए हो, मेर जीवन से दूर चले गए हो, मैं घर पर ही बैठी हूँ। मुझे पता नहीं कब कितने बजते हैं या आज कौन सा दिन है। तुम्हारे जाने से बाकी लोगों से मेरे सम्बन्ध भी ख़त्म हो गए। मैं अपने माँ के साथ भी बात नहीं कर पाती। मैं भूल गयी हूँ कि कौन-कौन सी इम्पोर्टेन्ट मीटिंग हैं, कब मुझे उठना है आदि-आदि। बार-बार मुझे लगता है, कि तुम्हरा मेरे जीवन से जाना सिर्फ एक भयानक ख्वाब है। अब मैं हरदम तुम को ही खोजा करती हूँ, यहाँ-वहाँ लेकिन इसका फायदा नहीं हो रहा। तुम्हारे बिना का दर्द असह्य है। अब मैंने समझ लिया है कि मैं तुम्हारी दासी हूँ, तुम्हारे अधीन हूँ।
शायद तुम्हें याद हो मेरे प्यारे-प्यारे मोबाइल फ़ोन।

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