शुक्रवार, 30 अप्रैल 2010

चीन में एक साल

इस्ताफी डेनियल--

मैंने पिछला साल चीन में बिताया। मुझे एक छात्रवृत्ति मिली थी, जिसमें सब कुछ था सफर, किताबों, जीवन के लिए पैसे, एक बहुत अच्छा कमरा और सबसे महत्वपूर्ण अध्यापन। मैं एक वूहान नाम वाले शहर में रहा था वूहान में एक करोड़ लोग रहते हैं। वूहान बुदापैश्त से पाँच गुना बड़ा है।
मैंने चीन में तीन काम किए। चीनी भाषा सीखी, बहुत यात्राएँ कीं और दोस्त बनाए। चीनी भाषा बहुत मुश्किल है, वूहान में एक उपभाषा बोली जाती है। एक साल के बाद भी मैं उपभाषा नही समझ पाया। पर हम स्कूल में मंडारिन सीखते थे। मेरे अध्यापक बहुत ही अच्छे थे। एक साल के बाद में कह सकता हूँ कि चीनी भाषा के प्रयोग में मेरा आत्मविश्वास बढ़ गया है।
चीन संसार का तीसरा सबसे बड़ा देश है। यह हंगेरी से सौ गुना बड़ा है। देश में सब कुछ है। दुनिया की सबसे ठंडी जगहों से लेकर उष्णदेशीय द्वीपों तक, रेगिस्तान से जंगल तक, छोटे तिब्बती गाँवों से लेकर दुनिया के सबसे आधुनिक शहर तक.। हालाँकि दूरियाँ बहुत अधिक हैं। पर यातायात व्यवस्था बहुत ही अच्छी और आरामदेह है।
दोस्तों से मिलना हमेशा खुशी की बात है। चीन में मुझे मौका मिला कि दुनिया के अनेक देशों से आने वाले लोगों से मिल सका। मेरा एक पाकिस्तानी दोस्त भी था जिससे मैं हिंदी भाषा में बातचीत करता था।
मेरा पिछला साल मेरे जीवन का एक सबसे महत्वपूर्ण साल था। मैं जानता हूँ कि मैं जरूर किसी दिन चीन लौटूँगा।

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