बुधवार, 14 अप्रैल 2010

रिर्क्रित तिरवनिजा की कला

--कार्पाति मेलिंडा

तिरवनिजा एक संकल्पनावादी कलाकार है, जो ब्यूनस आर्यस में पैदा हुआ था। उसके माता पिता थाई थे। आजकल वह अमेरिका में रहता और वहाँ ही काम करता है। वह अपने असामान्य और बहुत ही रोचक प्रदर्शनों से पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हुआ है।

इन प्रदर्शनों के अवसर पर वह क्लासिक और सामान्य कला से अलग प्रकार के तरह-तरह के मॉडल और संरचनाएँ बनाते हैं। इसका मतलब यह है कि वह कलावीथियों, संग्रहालयों का प्रयोग करके उनमें परिवर्तन करके उनमें परिवर्तन करते हैं। उदाहरण के लिए वह अपने पूरे घर का म़ॉडल कलावीथियों में बनाते हैं, जिसमें जाकर लोग दिन भर सब कुछ कर सकते हैं, सोना, अखबार पढ़ना, नहाना, दोस्तों से मिलना, रात का खाना खाना, नाश्ता करना। अर्थात अपनी दिनचर्या के सभी कार्य। इसके अलावा कई प्रदर्शनों के अवसर पर कला वीथियों में एक रसोई बनाते हैं, जिसमें कोई भी अपना खाना खुद पका और खा सकता है। इस तरह के प्रदर्शन में जाकर लोग कलाकृतियाँ नहीं देखते, वे कला में हिस्सेदारी करते हैं, वे उसका ही एक अंग बन जाते हैं। इसका मतलब यह है कि कला इन लोगों के कारण जन्म लेती है। इस कला का आधार मानवीय संबंध हैं।

वह अपनी कला से सामाजिक नियमों और आधुनिक उपभोक्त समाज से स्वतंत्रता के लिए लड़ता है। तिरवनिजा कहता है कि वह पतलाच संकल्पनावादी है। पतलाच एक प्राचीन अमेरिकी आदिवासी शब्द है जिसका मतलब है, “दावत देनेवाला”। पतलाच एक बड़ा त्योहार था। इसके अवसर पर जाति का प्रत्येक सदस्य दूसरे लोगों के लिए पकवान बनाता था और खिलाता था। इस शब्द का दूसरा अर्थ है “धन त्यागना”। यह भी तिरवनिजा की कला का प्रमुख संदेश है।

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