शुक्रवार, 30 अप्रैल 2010

भारत भ्रमण 2009

दाविद क्रिस्टी

हर वर्ष हमारे विश्वविद्यालय में हिंदी ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। हर साल अलग अलग देशों में इस प्रतियोगिता के लिए प्रबंधक, यू के हिंदी समिति के द्वारा चार वर्ग बनाए गए हैं। प्रत्येक वर्ग में पुरस्कारों की व्यवस्था की गई है। प्रतिभाशाली वर्ग में जो विद्यार्थी जीतता है उसे भारत यात्रा पर जाने का पुरस्कार मिलता है। यू के हिंदी समिति आई सी सी आर के साथ केवल छात्रों के हवाई-जहाज़ के टिकट का ही बंदोबस्त नहीं करता बल्कि भारत में रहने के स्थान की व्यवस्था और खाना­पान का भी वे ही इंतजाम करते हैं। यह कार्यक्रम 2001 के अंत में शुरू हुआ था। पिछले 7 साल से लगातार चल रहा है। शुरूआत में इस प्रतियोगिता में शामिल होना सिर्फ़ ब्रिटैन के छात्रों के लिए संभव था पर समय चलते-चलते ही यह मौका योरोपीय विद्यार्थियों को मिलने लगा जो अपने-अपने देशों में हिंदी सीखते हैं। इस साल 5 देशों के दस विद्यार्थी भारत भ्रमण के लिए भारत बुलाए गए थे: ब्रिटैन से तीन, रूस से तीन, क्रोशिआ से एक, रोमानिया से दो छात्र, और हंगेरी से यह मौका मुझे ही मिला।

यह कार्यक्रम 19 अगस्त से 30 अगस्त तक चला। हमारा होटल पुरानी दिल्ली के प्रसिद्ध इलाक़े, करोल बाग में था। वहाँ सब तरह की दुकानें, रेस्तराँ थे, तो खरीदने के लिए सब चीज़ें वहाँ मिल रही थीं। पर भीड़ बहुत अधिक थी, लोग देर रात तक शोर मचाते थे।

इस कारण से शोर वाले इस इलाक़े के बीच होटल में हम से नहीं सोया गया। प्रबंधक हमें उत्तर भारत की सभी विशेष जगह दिखाना चाहते थे तो हमें हमेशा जल्दी उठना पड़ता था। मैं बहुत उत्तेजित थी कि मैं वे जगहें देखूँगी जिनके बारे में, मैं विनोद वाली किताब में पढ़ चुकी थी। लाल किला बहुत खूबसूरत है, वहाँ दीवान ए आम और दीवान ए खास बहुत मशहूर है, पर इनके अलावा लाल किले के बीचों बीच एक रत्न मंजूषा सी मस्जिद दिखाई देती है: मोती मस्जिद जो विशेष रूप से आकर्षक है। हम चाँदनी चौक भी गए। मैंने चाँदनी रात में तो उसकी शोभा नहीं देखी पर उसकी भीड़-भाड़ दिन में भी देखते ही बनती थी।

दिल्ली के अलावा हम अन्य विशेष जगहें देखने गए। हम ताज महल देखने आगरा गए, हरिद्वार में हमने गंगा में स्नान किया। गंगा देखने का मौका हरिद्वार के अलावा हमें एक और बार भी मिला, इलाहाबाद में। इस स्थान पर तीन नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती का मिलन होता है। वहाँ हमने संगम की सही जगह पर नाव भी चलाई थी, जो हमारे लिए बहुत दिलचस्प था। इलाहाबाद से दूर नहीं अयोध्या, वह जगह, जहाँ महाराज राम ने शासन किया था। अयोध्या में हमने परंपरागत रामलीला देखी, और मैं सोचती हूँ कि हनुमान ज़रूर कभी वहाँ रहे होंगे क्योंकि बंदर होटल के आसपास भी थे।

हम भारत के मशहूर, रोचक स्थानों की यात्रा पर गए। मेरे लिए यात्रा की सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह थी कि हम भारत के विभिन्न मुख्य नेताओं और साहित्य्कारों से मिले। दिल्ली की मुख्य मंत्री शीला दीक्षित ने हमें अपने घर बुलाया और देहरादून में हमने उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियल से भेंट की। पोखरियाल नेता होने के साथ साथ हिंदी के प्रसिद्ध कवि भी हैं। हम कुछ साहित्यकार सम्मेलनों में भी गए। पर मेरी सबसे प्रिय मुलाक़ात इलाहाबाद में संपन्न हुई थी, जहाँ हम बूढ़े अमरखान के घर गए और उनसे बातचीत की।

मुझे हमेशा वे दिन याद आते हैं, दो हफ़्ते के लिए हम भारत में योरोप के यशस्वी व्यक्ति थे, हम सब सितारा देवी और तारा देव बने।

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